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असेट प्रकाशक

बहुरूपी

बहुरूपी एक िनिातत हैिो िनता का मनोरंिन करने और अपनी आिीविका कमानेके सलए भेस की कला मेंउत्कृष्ट्टता प्राप्त करती है। िेबाहरी लोगों के समूह का ढहस्सा हैंिो कटाई के मौसम के दौरान गांिों मेंउमड़ पड़तेहैं। उनमेंसेकुछ, िो तनयसमत खानाबदोश पेशेिरों का ढहस्सा नहीं हैं, जिन्हें कटाई के मौसम के दौरान अपना बकाया िमा करनेका अधधकार है, उपलानी -एस कहलातेहैं।


बहुरूपी एक िनिातत हैिो िनता का मनोरंिन करने और अपनी आिीविका कमानेके सलए भेस की कला मेंउत्कृष्ट्टता प्राप्त करती है। िेबाहरी लोगों के समूह का ढहस्सा हैंिो कटाई के मौसम के दौरान गांिों मेंउमड़ पड़तेहैं। उनमेंसेकुछ, िो तनयसमत खानाबदोश पेशेिरों का ढहस्सा नहीं हैं, जिन्हें कटाई के मौसम के दौरान अपना बकाया िमा करनेका अधधकार है, उपलानी -एस कहलातेहैं। बहुरूपी - एस उपलानी समुदाय का ढहस्सा हैं। उन्हेंभोरापी -एस के साथ-साथ रायनंद के नाम सेभी िाना िाता है। श्रीपततभट्ट की ज्योततष माला में, िो प्राचीन काल की एक मराठी पुस्तक है, उन्हें बोहरपी कहा िाता है। बहुरूपी ग्रामीण रंगमंच के कलाकारों की नस्ल का सबसेमहत्िपूणिऔर प्राथसमक घटक है।
िेमूल रूप सेभेस की कला मेंविशेषज्ञ हैंऔर अपनेकौशल के माध्यम सेलोगों का मनोरंिन करतेहैं। बदलेमें, िेनकद या िस्तुके रूप में लोगों की सराहना अजिित करतेहैं। िेकटाई की अिधध के दौरान िो कुछ भी कमाते हैंउस पर अपना भरण-पोषण करते हैं। इनका हुनर इतना परफे क्ट होता हैकक कई बार असली और कॉपी मेंफकि करना मुजचकल हो िाता है। प्रदशिन को ब़िानेके सलए कभी-कभी उनके कृत्यों के साथ मनोरंिक गानेभी होतेहैं। ग्रामीण िीिन के गणमान्य व्यजक्त िैसे ममलेदार , पाढटल और पौरार्णक हजस्तयां पक्षी-कॉल, िानिरों की पुकार, रोतेहुए बच्चेकी आिाि आढद की नकल के अलािा उनके कृत्यों का विषय हैं।
बहुरूपी पूरेमहाराष्ट्र मेंपाए िातेथे। उनकी खानाबदोश िीिन शैली के कारण, इस िनिातत मेंसाक्षरता दर ककसी के भी करीब नहीं है। िे मराठाकुनबी िातत की परंपराओं का पालन करतेहैं। बढहरोबा, िखाई,  िोखाई, िनाई, खंडोबा ऐसेदेिता हैंजिनकी िेआमतौर पर पूिा करते हैं। बहुरूपी िनिातत भारत के कुछ भागों में भी पाई िाती है। पंिाब मेंबहुरूपी आस्था सेससख हैं। गुिरात के बहुरूवपयों , जिन्हें भिैयेके नाम सेिाना िाता है, नेपक्षी कॉल की नकल करनेमेंउत्कृष्ट्ट कौशल विकससत ककया है। बहुरूपी पारंपररक रूप सेएक वपतसृ िात्मक कला है जिसे पीढ़ियों को सौंप ढदया िाता है। आधुतनक समय में यह एक तनराशािनक पररदृचय हैकक यह लोक-कला रूप िनता के समथिन और तनम्न सामाजिक प्रततष्ट्ठा के कारण धगरािट पर है।

जिले/क्षेत
महाराष्ट्र, भारत।

सांस्कृततक महत्ि
बहुरूपी एक िनिातत हैिो िनता का मनोरंिन करने और अपनी आिीविका कमानेके सलए भेष बदलनेकी कला मेंउत्कृष्ट्ट है।
 


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