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असेट प्रकाशक

कोल्हाटी

कोल्हाटी महाराष्ट्र, कनािटक और मध्य प्रदेश मेंपाई िानेिाली खानाबदोश िनिातत है। उन्हेंमहाराष्ट्र मेंविसभन्न नामों सेभी िाना िाता है, उदाहरण के सलए कनािटक मेंदांडेिाले, कबूतरी, खेलकर, डोंबरी, कोल्हाटी, बांसबेररया आढद, उन्हेंडोंबरी के नाम सेिाना िाता है।


कोल्हाटी महाराष्ट्र, कनािटक और मध्य प्रदेश मेंपाई िानेिाली खानाबदोश िनिातत है। उन्हेंमहाराष्ट्र मेंविसभन्न नामों सेभी िाना िाता है, उदाहरण के सलए कनािटक मेंदांडेिाले, कबूतरी, खेलकर, डोंबरी, कोल्हाटी, बांसबेररया आढद, उन्हेंडोंबरी के नाम सेिाना िाता है।
कोल्हाटी के समुदाय के भीतर नौ उप-श्रेर्णयााँहैं। िेहैंमराठा,  गुिराती, दकु ारेउफि पोतारे, पल उफि के न, हरका, िेलेउफि िसलयार,  गोपालगनी, अरेऔर मुसलमान । िेआम तौर पर एक गााँि के बाहर खुलेक्षेत्रों में, चटाई सेबनी अस्थायी झोंपडड़यों मेंरहतेहैंऔर गधों पर अपना सामान लादतेहुए एक आधार सेदसू रेस्थान तक यात्रा करतेहैं। िेबाहरी लोगों को अपनी िातत मेंपररिततित करतेहैंऔर धमाांतरण को पूरा करनेके सलए उसेिंगली सूअर का मांस र्खलाते हैं। पाटेकर, देिलकर, लाखे, सोंताके, तनकनाथ, दिुे, दांडेकर, काठे,  कोल्हाटी िनिातत मेंप्रचसलत कुछ कबीलेउपनाम हैं।
महाराष्ट्र के अहमदनगर जिलेके कोल्हाटी -एस ब्राह्मण पुिारी को बुलाकर अपनेबेटों के धागेकी रस्म करतेहैं। उनके मुख्य पूििि कोल के नाम सेिाना िाता है, िो एक नतिक थे, िहां तक परंपरा का संबंध है। इनके वपता तेली और माता क्षत्रत्रय थीं । यिु ािस्था मेंआने के बाद बच्चों की शादी कर दी िाती है। बासलका को वििाह के संबंध मेंअपना तनणिय लेनेकी अनुमतत है। यढद िेऐसा महसूस करतेहैंतो उन्हेंिेचयािवृि को एक पेशेके रूप मेंअपनानेकी अनुमतत है।
कोल्हाटी िनिातत मेंबहुवििाह प्रचसलत है। दल्ूहेका वपता दल्ूहेकी ओर सेशादी का अनुरोध करता है। उसेएक प्रथा के रूप मेंदल्ुहन के वपता को एक तनजचचत रासश का भुगतान करनेकी आिचयकता होी है। विधिाओं को पुनवििि ाह की अनुमतत है। शाढदयां आमतौर पर अमािस्या की रात सेपहलेकी रात को होती हैं। एक अवििाढहत पुरुष एक विधिा सेवििाह कर सकता है, के िल एक पेड़ रुई सेवििाह करनेके बाद । हालांकक िेढहदं ूउिराधधकार अधधतनयम का पालन करतेहैं, इस िनिातत मेंतलाक की अनुमतत नहीं है।
िेज्योततष, िादूटोना मेंविचिास करतेहैंऔर ज्यादातर सशि और हनुमान के अनुयायी हैं। िेिुरी, अलंदी, सशखर-सशगं नापुर, पंढरपुर,  ज्योततबा, कोल्हापुर महालक्ष्मी कुछ पवित्र स्थान हैंिहााँिेिातेहैं। खंडोबा, मररया, म्हसोबा, बढहरोबा कुछ कम देिता हैंजिनकी िे प्राथिना करतेहैं। कोल्हाटी की गोपालगनी उप -श्रेणी की मढहलाएं मुख्य रूप सेिेचयािवृि मेंसलप्त हैं। कोल्हाटी के लोग आमतौर पर घास-चटाई, कं घी, र्खलौने, िानिरों के सींगों सेसिािटी सामान िैसे दस्तकारी के सामान बनातेहैंऔर पेशेिर गोदनेमेंसलप्त होतेहैं। मढहलाएं गायन, नत्ृय और तमाशा मेंभी शासमल हैं।

जिले/क्षेत
महाराष्ट्र, भारत

सांस्कृततक महत्ि
कोल्हाटी महाराष्ट्र, कनािटक और मध्य प्रदेश में पाई िाने िाली खानाबदोश िनिातत है।
 


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