जिले/क्षेत
महाराष्ट्र, र्ारि।
अद्वविीय ववशेषिाए
ग्रामीण महाराष्ट्र में पुरुषों को िोिर या िोिी पहने िेखा िािा है । िोिी कमर के िारों ओर बंिेकपडेका एक टुकडा है। िोिी पूरे पैर को टखनेिक ढक लेिी है। िोिी का रंग आमिौर पर के सररया, िीम या सफे ि होिा है। िोिी त्रबना लसले कपडों का एक टुकडा है जिसे ककसी उचिि माप की आवचयकिा नहीं होिी है।
फे टा मराठी पुरुषों की हेडड्रेस है। फे टा को 'टोपी' र्ी कहा िािा है। यह आमिौर पर कपास से बना एक हेडकवर होिा है। यात्री और बाहर काम करने वाले लोग, िूप में ववशेष रूप से इसे पहनिे हैं। इसे समारोहों और त्योहारों पर र्ी पहना िािा है।
िोिी के साथ सूिी टॉप या कुिाभ पहनिे हैं। वे महाराष्ट्र में मौिूि गमभ और आिभ पररजस्थतियों में उपयोगी होिे हैं। ये टॉप पिले और ढीले होिे हैंऔर आमिौर पर सफे ि रंग के होिे हैं। महाराष्ट्रीयन पुरुष कर्ी-कर्ी वास्कट पहनिे हैं िो महाराष्ट्रीयन पोशाक को अचिक औपिाररक और उचिि बनािे हैं। यह स्थानीय िलवायु पररजस्थतियों को ध्यान में रखिे हुए उपयोगी है िो पुरुषों को सामान्य कोट या ओवरकोट पहननेकी अनुमति नहीं िेिी हैं
िोिी के साथ सूिी टॉप या कुिाभ पहनिे हैं। वे महाराष्ट्र में मौिूि गमभ और आिभ पररजस्थतियों में उपयोगी होिे हैं। ये टॉप पिले और ढीले होिे हैंऔर आमिौर पर सफे ि रंग के होिे हैं। महाराष्ट्रीयन पुरुष कर्ी-कर्ी वास्कट पहनिे हैं िो महाराष्ट्रीयन पोशाक को अचिक औपिाररक और उचिि बनािे हैं। यह स्थानीय िलवायु पररजस्थतियों को ध्यान में रखिे हुए उपयोगी है िो पुरुषों को सामान्य कोट या ओवरकोट पहननेकी अनुमति नहीं िेिी हैं
शरीर के ऊपरी दहस्से को ढकने के ललए साडी के नीिे िोली या ब्लाउि पहनिी हैं। पुरुषों के कपडों की िरह, मदहलाओं के कपडेर्ी कपास और कर्ी-कर्ी रेशम सेबनेहोिेहैं।
नाथ या नाक की अंगूठी मदहलाओं के ललए पारंपररक महाराष्ट्रीयन पोशाक का दहस्सा है। वे आम िौर पर सोने, मोिी, माणणक और पन्ना सेबनेहोिेहैं। ववलर्न्न प्रकार के आर्ूषण र्ी उनके पारंपररक पररिान का दहस्सा हैं। एक वववादहि महाराष्ट्रीयन मदहला को पहिानने के ललए एक मंगलसूत्र, हरी िूडडयााँऔर माथे पर लसिं रू काफी हैं। पैर की अंगुली के छल्ले र्ी एक महाराष्ट्रीयन मदहला की पोशाक का एक महत्वपूणभ दहस्सा हैं।
यह एक वास्िववकिा है कक, शहरीकरण के कारण, अचिकांश महाराष्ट्रीयन लोगों ने कपडों की पजचिमी शैली को अपनाया हैऔर यहां िक कक र्ारिीय और पजचिमी शैललयों (कुिाभ और पैंट आदि) के ववलय को र्ी अपनाया है। हालांकक, बुिुगभ लोग अर्ी र्ी पारंपररक कपडे पहनना पसंि करिे हैं। उनके ललए, आराम परंपरा की सहायक है।
सामग्री और छोटी रेलसपी
यह एक वास्िववकिा है कक, शहरीकरण के कारण, अचिकांश महाराष्ट्रीयन लोगों ने कपडों की पजचिमी शैली को अपनाया हैऔर यहां िक कक र्ारिीय और पजचिमी शैललयों (कुिाभ और पैंट आदि) के ववलय को र्ी अपनाया है। हालांकक, बुिुगभ लोग अर्ी र्ी पारंपररक कपडे पहनना पसंि करिे हैं। उनके ललए, आराम परंपरा की सहायक है।