खानाबिोश - DOT-Maharashtra Tourism
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खानाबिोश
Districts / Region
खानाबिोशों को आमिौर पर महाराष्ट्र में"र्टके" के रूप मेंिाना िािा हैऔर महाराष्ट्र के ववलर्न्न दहस्सों मेंिेखा िािा है।
Unique Features
घुमंिू की एक सामान्य पररर्ाषा तनम्नललणखि शब्िों में गढ़ी िा
सकिी है; घुमंिू एक ऐसे समुिाय का सिस्य है जिसका कोई
तनजचिि आवास नहीं हैिो तनयलमि रूप सेउसी क्षेत्र सेऔर वहां से
िािा है । ऐसे समूहों में लशकारी-संग्रहकिाभ, िेहािी खानाबिोश और
व्यापारी खानाबिोश शालमल हैं।
लशकारी खानाबिोश संस्कृति की प्रारंलर्क अवस्था थी। पत्थर के
औिारों की खोि के बाि, वेकुछ समय मेंलशकारी-संग्रहकिाभ के रूप
में ववकलसि हुए। कृवष िरण के िौरान, उन्होंने इस उद्िेचय के ललए
मवेलशयों का उपयोग करने की कला में महारि हालसल की। ऐसे
खानाबिोशों को तनमाभिा के रूप मेंलेबल ककया गया था खानाबिोश ।
सेवा में शालमल लोगों को खानाबिोशों की सेवा करने वाले और
मनोरंिन करने वालों को मनोरंिक खानाबिोशों के रूप में ब्रांडेड
ककया गया । कुछ समय में कई खानाबिोश श्रेणणयां िैयार की गईं
और उनके र्ववष्ट्य के ववकास के ललए रुझान तनिाभररि ककया।
खानाबिोश _ महाराष्ट्र में िनिातियां एक समान पैटनभ का पालन
करिी हैं। छोटे-छोटेघोडों, गिों आदि पर अपना सामान लाििेहुए, वे
अपनेदठकानों को बिलिे रहिे हैं, ऐसे स्थानों की िलाश में रहिे हैं
िहााँ वे अपना र्रण-पोषण कर सकें। डोंबरी-एस, िािगू र, र्ाग्यबिाने वाला, िडी-बूदटयों का वविरण कुछ ऐसे व्यवसाय हैंिो वे
िलिे-कफरिे करिे हैं। इन स्थायी खानाबिोशों के अलावा कुछ
िनिातियााँऋिु-आिाररि मागभ का अनुसरण करिी हैं। इन लोगों के
पास अपने घर और कृवष र्ूलम के साथ अपना स्थायी आिार है। वे
कटाई का मौसम समाप्ि होने के बाि खानाबिोश की बागडोर
संर्ालिे हैं, बीि की अवचि त्रबिािे हैंिहां वे कुछ कृवष गतिववचि
करिेहुए खुि को बनाए रख सकिेहैंऔर अगलेकटाई के मौसम के
ललए खुि को िैयार करनेके ललए अपनेआिार पर लौट सकिेहैं।
आिुतनकीकरण ने ग्रामीण पररदृचय के पारंपररक पाररजस्थतिकी िंत्र
को पंगुबना दिया है, जिसमें सब कुछ मुदिि िन के संिर्भ में िय
ककया िा रहा है। इसने खानाबिोश समुिायों की िीवन शैली को
काफी हि िक प्रर्ाववि ककया है। आिुतनकीकरण के कारण,
खानाबिोश बजस्ियों के ललए तनिाभररि पारंपररक क्षेत्र, िैसे िंगल,
िेहािी साग आदि नष्ट्ट हो गए हैंया ववनाश के कगार पर हैंऔर
खानाबिोश िनिातियों को अपनी गतिववचियों के ललए नए क्षेत्रों की
िलाश करके जस्थति के अनुकूल होनेके ललए मिबूर कर दिया हैया
नए पेशों को अपनाकर व्यवस्था का दहस्सा बनें। हालांकक इसने अब
िक उनके सांस्कृतिक लक्षणों को प्रर्ाववि नहीं ककया है।
घुमंिूिनिातियों के ववकास पर कें ि और राज्य सरकारें लगािार
निर रख रही हैंऔर आिािी के बाि से लगािार उनके उत्थान के
ललए ववलर्न्न आचथभक और सांस्कृतिक योिनाओं को आगे बढ़ा रही
हैं। इनमें से कुछ में स्थायी बंिोबस्ि, पशुिारण र्ूलम, उनके आवास
के ललए ववत्तीय सहायिा, चिककत्सा सुवविाएं प्रिान करना शालमल है।
यह ििू और ऊन उत्पािन िैसी सहकारी गतिववचियों को र्ी
प्रोत्सादहि करिा है, िनगणना ररपोटभ मेंउल्लेख ककया गया है, उनके
कल्याण के ललए काम करनेवालेगैर सरकारी संगठनों के नेटवकभ का
तनमाभण, व्यावसातयक प्रलशक्षण संस्थान बनाना, बिटीय प्राविानों में
ऐसी योिनाओं के ललए प्रमुख ववत्तीय प्राविान प्रिान करना कुछ ऐसे
हैं। उपाय िो ठोस प्रयासों का दहस्सा हैंऔर फल िेनेलगेहैं।
Cultural Significance
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