पैठानी - DOT-Maharashtra Tourism

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असेट प्रकाशक

पैठानी

Districts / Region

पैठानी का नाम औरंगाबाि जिलेके पैठण शहर सेललया गया है। अब इसका तनमाभण कें ि नालसक जिलेके येओला मेंस्थानांिररि कर दिया गया है।

Unique Features

पैठन प्रलसद्ि सािवाहन रािवंश की राििानी थी जिसने मौयभ साम्राज्य के पिन के बाि साढ़े िार शिाजब्ियों सेअचिक समय िक प्रायद्वीपीय र्ारि पर शासन ककया था। पैठानी नाम पैठन से ललया गया हैऔर यह एक समद्ृ ि रेशम साडी पर अद्वविीय रूपांकनों के िरी के काम के ललए प्रलसद्ि है । पैठानी का रंग ज्यािािर गहरा होिा हैऔर इसमें चिकनी िमकिार कफतनश होिी है। साडी के एक छोर, जिसेपिर के नाम सेिाना िािा है, पर जरी का काम होिा है और िोनों बॉडभर या काठ में फूलों के पैटनभ होिे हैं। इन पैटनभ की खालसयि यह हैकक येिोनों िरफ सेएक िैसेदिखिेहैं। एक पैठणी आमिौर पर महाराष्ट्रीयन परंपरा मेंवववाह सेिुडी होिी है।
पारंपररक पैठानी ९ गि लंबी और २.५ गि िौडी हैजिसमेंपडर और कठ पर पुष्ट्प और पशुऔर पक्षी रूपांकनों के साथ है। इसका विन ३.३ ककलोग्राम िक होिा है, और इसके ललए २५० ग्राम िांिी और १७ ग्राम िक सोने की आवचयकिा होिी है। गुणवत्ता लर्न्निाओं को बारामसी, िुडामणण, एकवेसमसी के रूप मेंिाना िािा हैऔर कीमि इन ववववििाओं पर आिाररि होिी है। शाही अलर्लेख हैं जिनमें छत्तीसमासी का उल्लेख है१३० नंबर के रेशम के साथ पैठानी बुनाई एक बहुि ही उच्ि गुणवत्ता को िशाभिी है
पारंपररक पैठानी ९ गि लंबी और २.५ गि िौडी हैजिसमेंपडर और कठ पर पुष्ट्प और पशुऔर पक्षी रूपांकनों के साथ है। इसका विन ३.३ ककलोग्राम िक होिा है, और इसके ललए २५० ग्राम िांिी और १७ ग्राम िक सोने की आवचयकिा होिी है। गुणवत्ता लर्न्निाओं को बारामसी, िुडामणण, एकवेसमसी के रूप मेंिाना िािा हैऔर कीमि इन ववववििाओं पर आिाररि होिी है। शाही अलर्लेख हैं जिनमें छत्तीसमासी का उल्लेख है१३० नंबर के रेशम के साथ पैठानी बुनाई  एक बहुि ही उच्ि गुणवत्ता को िशाभिी है
पैठणी को बनानेमेंआमिौर पर इक्कीस दिन लगिे हैंऔर यह सौ साल िक िलने का िावा करिा है। पडर को बनाने में लगर्ग एक सप्िाह का समय लगिा है। एक पैठानी बनाने में काफी कारीगर शालमल होिेहैं। सुनार सोनेऔर िांिी को िमकिार महीन िागों में बिल िेिा है। वािावेनाम सेिाना िानेवाला एक कारीगर िागेको एक बोत्रबन पर रोल करिा हैऔर इसेबुनकर को सौंप िेिा है। रेशम के िागों को बुनाई के ललए िैयार करनेकी प्रकिया में पूणभ िैयभ और दृढ़िा की आवचयकिा होिी है क्योंकक इसकी अनूठी गुणवत्ता को बनाए रखनेके ललए कई िरणों सेगुिरना पडिा है।
पैठानी का उत्पािन आिार शायि १७वीं शिाब्िी में नालसक जिले के बालेवाडी मेंस्थानांिररि हो गया है। पैठण सेकुछ अत्यचिक कुशल बुनकरों को एक मराठा लेजटटनेंट द्वारा येओला लाया गया था। पेशवा शासन के िौरान पैठानी की लोकवप्रयिा अपने िरम पर पहुंि गई। २०वीं शिाब्िी के पहले िशक िक पारंपररक डडिाइन और वगभ प्रिलन में थे लेककन लोगों के परीक्षण में बिलाव से समग्र डडिाइन और पैटनभ में बिलाव आया। तनमाभण में शालमल थकाऊ प्रकियाओं के कारण, एक पैठणी की लागि र्ी अचिक थी और यांत्रत्रक आववष्ट्कारों की शुरुआि के साथ सस्िेसंस्करणों नेबािार मेंबाढ़ लानी शुरू कर िी और पररणामस्वरूप यह एक बार प्रलसद्ि सांस्कृतिक प्रिीक का पिन हो गया।
इस प्रािीन कला का समथभन करने के ललए राज्य के गठन के बाि,  महाराष्ट्र सरकार की ववलर्न्न योिनाओं के माध्यम से ठोस प्रयास फल िेनेलगेहैं।

Cultural Significance

एक पैठणी आमिौर पर महाराष्ट्रीयन परंपरा में वववाह सेिुडी होिी है।
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